वृद्धजनों के स्वस्थ व खुशहाल जीवन से जुड़े प्रयासों को मिले बल : वेंकैया नायडू

नई दिल्ली । उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने शनिवार को कहा कि भारत पहले की तुलना में बहुत तेजी से बूढ़ा हो रहा है। 2050 में विश्व की 60 वर्ष और उससे अधिक की लगभग 20 प्रतिशत आबादी भारत में होगी। इस चुनौती के लिए हमें पहले से तैयार होना होगा और वृद्धजनों को स्वस्थ और खुशहाल जीवन देने से जुड़े प्रयासों को बल देना होगा।

उपराष्ट्रपति ने एम्स में गेरिएट्रिक मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. प्रसून चटर्जी द्वारा लिखित पुस्तक “हेल्थ एंड वेल बीइंग इन लेट लाइफ: पर्सपेक्टिव एंड नैरेटिव्स इन इंडिया” का विमोचन किया।

इस दौरान वृद्धजनों के साथ दुर्व्यवहार और उनके परित्याग की रिपोर्टों पर नाराज़गी व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि कई बुजुर्गों को वृद्धाश्रम में रहने के लिए मजबूर किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बच्चों का यह कर्तव्य है कि वे अपने माता-पिता और दादा-दादी की अच्छी देखभाल करें।

इस दौरान उपराष्ट्रपति ने भारतीय परिवार प्रणाली और पारिवारिक मूल्यों को भारतीय सभ्यता की खासियत बताया। उन्होंने कहा कि हमें भारतीय परिवार प्रणाली, मूल्यों, संस्कृति और परंपराओं की तरफ वापस जाना चाहिए। माता-पिता, गुरु और प्रकृति के प्रति सम्मान भारतीय दर्शन में समाहित है।

कार्यक्रम में आईजीएनसीए के अध्यक्ष राम बहादुर राय, एम्स के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया, एम्स के जिरियाट्रिक मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉ ए बी डे, स्प्रिंगर प्रकृति के प्रबंध निदेशक संजीव गोस्वामी और अन्य उपस्थित थे।

पुस्तक के बारे में बात करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह एक वृद्ध व्यक्ति के साथ-साथ भारतीय संदर्भ में समाज की तैयारियों पर चर्चा करती है। अवसाद और मनोभ्रंश जैसे स्वास्थ्य के मुद्दों को उजागर करने के अलावा पुस्तक उन समाधानों का विस्तृत विश्लेषण प्रदान करती है जो कम खर्चिले और व्यावहारिक हैं।

नायडू ने बुजुर्गों के स्वास्थ्य देखभाल के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम (एनपीएचसीई) को लागू करने के लिए भारत सरकार की सराहना की। उन्होंने कहा कि सरकार आयुष्मान भारत के माध्यम से जीवन शैली में बदलाव, गैर-संचारी रोग प्रबंधन, दृष्टि और श्रवण समस्या प्रबंधन और सुलभ स्वास्थ्य देखभाल पर काम कर रही है।

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